Prakash Sanshleshan Kise Kahate Hain.
पेड़ पौधे द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड,जल और वर्ण हरित के माध्य , सूर्य की प्रकाश की उपस्थिति में ग्लूकोज का संश्लेषण करना Prakash Sanshleshan कहलाता है ।
ध्यान दें :- इस प्रक्रिया में ऑक्सीजन तथा ग्लूकोस बनता है इसमें ऑक्सीजन मुक्त होता है तथा ग्लूकोज पौधा के उपयोग, ऊर्जा उत्पादन काम करता है शेष ग्लूकोज कार्बोहाइड्रेट बन या और फिर स्टार्च के रूप में भिन्न भागों में जमा हो जाता है ।
Prakash Sanshleshan Ki Kriya Ka Rasayanik Samikaran Likhiye.
Prakash Sanshleshan की जटिल क्रिया में हरे पौधे विकिरण ऊर्जा को रसायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं जब सूर्य की प्रकाश हरी पत्तियों पर पड़ता है तब क्लोरोफिल उर्जा का अवशोषण करता है
तथा इस ऊर्जा द्वारा हरी पत्ती में उपस्थित दो भागो अर्थात हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभक्त हो जाता है इनमें ऑक्सीजन स्टोमाटा द्वारा बाहर निकलकर वायुमंडल में मिल जाता है हाइड्रोजन कार्बन डाइऑक्साइड से मिलकर ग्लूकोस बनता है
Prakash Sanshleshan की पूर्ण क्रियाविधि में “प्रकाश” की आवश्यकता नहीं पड़ती है लेकिन प्रकाश जल की विभक्त करने में यानी जल का प्रकाशित अपघटन के लिए आवश्यक प्रकाश संश्लेषण के इस प्रथम चरण को प्रकाश अभिक्रिया कहते हैं
इसके बाद की प्रतिक्रिया जिसमें प्रकाश अभिक्रिया के उत्पादन का CO2 के उन में काम आता है और जिसके फलस्वरूप ग्लूकोस बनता है प्रकाश तथा अंधकार में समान रूप से होता है
Prakash Sanshleshan के द्वितीय चरण को “अप्रकाश अभिक्रिया” कहते हैं यह चरण अप्रकाश अभिक्रिया इसलिए कहलाता है क्योंकि यह अंधकार में होता है या इसमें प्रकाश की अनुपस्थिति आवश्यक है अपितु प्रकाश होने या ना होने पर इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है ।
Prakash Sanshleshan Kriya Ka Pramukh Utpad Hai.
Prakash Sanshleshan में Pramukh Utpad उपयोग किए जाते हैं जो निम्न है :
- पर्णहरित या क्लोरोफिल
- कार्बन डाइऑक्साइड
- जल
- सूर्य के प्रकाश
पर्णहरित या क्लोरोफिल :- Prakash Sanshleshan हरे पौधे में ही संभव है,परंतु वास्तव में पौधा का हरा होना आवश्यक नहीं है क्योंकि लाल या भूरे पौधे भी Prakash Sanshleshan की प्रक्रिया कर सकते हैं ।
अत: Prakash Sanshleshan की प्रक्रिया मे पौधे का रंग उतना महत्व नहीं रखता है जितना पादप कोशिका पर्णहरित (क्लोरोफिल की उपस्थिति ) मैं होता है। अतः Prakash Sanshleshan के लिए क्लोरोफिल की मौजूदगी में संभव है।
चुकि क्लोरोफिल वह वास्तविक अणु है जिसके कारण Prakash Sanshleshan की प्रक्रिया संपूर्ण होती है अतः क्लोरोफिल को Prakash Sanshleshan की इकाई कहते हैं
कार्बन डाइऑक्साइड :- Prakash Sanshleshan में पौधे कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करते हैं ,ऑक्सीजन को छोड़ते हैं। पौधे कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण से तैयार (प्राप्त) करते हैं CO2 का भंडार वायुमंडल है वायुमंडल में 0.03% मौजूद है।
जल :- पौधे अपने भोजन का अधिकतम जल से प्राप्त करते हैं Prakash Sanshleshan के लिए आवश्यक घटक है पौधे जड़ों द्वारा भूमि से जल और उसमें घुले खनिज लवण का अवशोषित करता हैं
नाइट्रोजन, प्रोटीन एवं अन्य यौगिक का संश्लेषण होता है जड़ों के द्वारा ग्रहण किया गया जल, पौधे के पत्तियों तथा अन्य भाग में जाइलम उत्तक के द्वारा जाता है जहां Prakash Sanshleshan की प्रक्रिया में उपयोग होता है
सूर्य के प्रकाश :- पौधे Prakash Sanshleshan की प्रक्रिया सूर्य की उपस्थिति में करता है, यह अंधेरे में संभव नहीं है सूर्य की रोशनी इस प्रक्रिया में आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है ।
Adhiktam Prakash Sanshleshan Hota Hai.
Adhiktam Prakash Sanshleshan सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में होता है अगर Prakash Sanshleshan अंधेरे में किया जाए तो पौधे में सिर्फ कार्बन डाइऑक्साइड जमा हो जाता है और फिर पानी उसके शरीर में आने से वह सारी कर्बनडॉक्स डाइऑक्साइड पत्तियों से निकल जाते हैं
इसलिए माना जाता है कि पौधे रात को कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं, और रात के समय में पेड़ के नीचे सोना नहीं चाहिए क्योंकि हम लोग ऑक्सीजन लेते हैं कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं, या सिर्फ छोटे पौधे मे होता है घने बड़े पौधे में ऐसा संभव नहीं हो पाता है
क्योंकि जब तक इसमें पानी की मात्रा अधिक बढ़ने बढ़ती है तथा कार्बन डाइऑक्साइड को बढ़ने में समय लग जाता है फिर वह स्टार्च के रूप में रह जाता है ।
Prakash Sanshleshan Mein Chloroplast Ki Kya Bhumika Hai.
Chloroplast या हरित लवक और क्लोरोफिल या वर्ण हरित यह सब एक ही में होता है या कहे यह सब लगभग समान ही होते हैं जिनके बारे में ऊपर पहले ही बता दिया गया और इनकी भूमिका के बारे में विस्तार से समझाया गया है ।
Chloroplast एक प्रकार का कोशिकांग है जो पादप कोशिकाओं में पाया जाता है जिसमें पर्णहरित या वर्ण हरित वर्णक पाया जाता है जो प्रकाश ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करता है ।
हम कह सकते हैं कि Chloroplast में Prakash Sanshleshan की प्रक्रिया होती हैं जिसके द्वारा पौधों में भोजन का निर्माण होता है और ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का संतुलन बनाते हैं ।