Jeev, Rasayan, Bhautik Vigyan Kise Kahate Hain

Jeev, Rasayan, Bhautik Vigyan Kise Kahate Hain.

 

Vigyan Kise Kahate Hain.

Vigyan (विज्ञान) :-  मनुष्य द्वारा अवलोकन एवं प्रयोग से प्राप्त वास्तविक एवं क्रमबद्ध ज्ञान को ही Vigyan Kahte हैं

विज्ञान को मुख्यत दो भागों में बांटा गया है जिसमें Bhautik Vigyan, Jeev vigyan है Rasayan Vigyan, Bhautik Vigyan का एक शाखा है ।

  • bhautik vigyan (भौतिक शास्त्र विज्ञान)
  • jeev vigyan (जैविक शास्त्र विज्ञान/जीव विज्ञान)

 

Bhautik vigyan (भौतिक शास्त्र विज्ञान) का वह शाखा जिसके अंतर्गत निर्जीव वस्तुओं का अध्ययन विस्तार पूर्वक क्या जाता है उसे bhautik Vigyan Kahte हैं।

जैसे :- Bhautik Vigyan (भौतिक शास्त्र) , Rasayan Vigyan (रसायन शास्त्र) , भूगोल शास्त्र ,भूगर्भ शास्त्र, खगोल शास्त्र ।
 
jeev vigyan (जैविक विज्ञान या जीव विज्ञान) का वह शाखा जिसके अंतर्गत सजीव वस्तु का अध्ययन विस्तार पूर्वक किया जाता हो उसे Jeev vigyan Kahte हैं ।

जैसे :- वनस्पति शास्त्र, जीव या प्राणी शास्त्र
 
 

Bhautik Vigyan Kise Kahate Hain.

 

Bhautik Vigyan (भौतिक विज्ञान) :- “फिजिक्स”(physics) ग्रीक शब्द फ्यूसीस से लिया गया है,जिसका अर्थ प्रकृति होता है । भौतिक मूल रूप से संस्कृत शब्द है ,जिसका अर्थ भौतिक संसार होता है ,


इसी प्रकार भौतिक विज्ञान की परिभाषा :-

प्राकृति एवं प्राकृति में घटने वाली विभिन्न प्राकृतिक घटनाओं का प्राकृति  अध्ययन विज्ञान की जिस शाखा में किया जाता है उसे हम bhautik vigyan Kahte हैं ।

Rasayan Vigyan Kise Kahate Hain.

Rasayan Vigyan (रसायन शास्त्र) :- विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत पदार्थों के भौतिक या रसायनिक गुण संरचना संगठन अथवा पदार्थों के भौतिक या रासायनिक परिवर्तन या इनके नियमों का अध्ययन जिस शाखा में किया जाता है , उसे Rasayan Vigyan Kahte हैं।

 

“लैबोजियर” रसायान शास्त्र के जनक कहे जाते हैं विकास एवं अध्ययन के सुविधा हेतु रसायान शास्त्र को मुख्यतः तीन भागों में बांटा  गया है ।

 

Rasayan Vigyan के तीन भाग :-

  • भौतिक रसायन शास्त्र
  • कार्बनिक रसायन शास्त्र
  • कार्बनिक रसायन शास्त्र

1.भौतिक रसायन शास्त्र:-

Rasayan Vigyan के वह भाग जिसके अंतर्गत पदार्थ के गुण एवं संरचनाओं का परिवर्तनों का अध्ययन विस्तारपूर्वक करते हैं


2. कार्बनिक रसायन शास्त्र:-
 

Rasayan Vigyan का वह भाग जिसके अंतर्गत कार्बन से बने यौगिक का विस्तार पूर्वक अध्ययन किया जाता है, उसे कार्बनिक रसायन शास्त्र कहते हैं।


3.अकार्बनिक रसायन शास्त्र:-
 

Rasayan Vigyan का वह भाग जिसके अंतर्गत कार्बनिक यौगिक को छोड़कर शेष अन्य यौगिक का अध्ययन विस्तार पूर्वक जिस भाग में किया जाता हो उसे अकार्बनिक रसायन शास्त्र कहते हैं।

-: ध्यान दें :-

 

अकार्बनिक यौगिक मृत श्रोत से प्राप्त होता है कार्बनिक योगिक जीवित प्राणी से प्राप्त होता है जैसे किसी जानवर को जलाने पर उसके शरीर या उसके अस्तित्व को जलने से जो धुआं निकलता है।

“काला” वह कार्बन होता है तथा किसी निर्जीव वस्तु जैसे लकड़ी लकड़ी को जलाने पर जो धुआं निकलता है वह अकार्बनिक धुआं होता है

और जीवित प्राणी से जो धुआं निकलता है “काला” जैसा वह कार्बनिक होता है इस तरह हमें पता चल सकता है कि कौन कार्बनिक है कौन अकार्बनिक है।

What Is Scattering Of Light Class 10 In Hindi.

Scattering Of Light Definition In Hindi.

What Is Scattering Of Light Class 10 In Hindi? जब सूर्य का प्रकाश वायुमंडल में प्रवेश करता है तो वायुमंडल में उपस्थित सूक्ष्म कण पर पड़ता है और कण सूर्य के कुछ ऊर्जा को अवशोषित कर फिर उसे चार ओर पुनः विसर्जित ( छित्रित) कर देता है यह घटना प्रकाश का प्रकीर्णन कहलाता है।

किसी कण पर पड़कर प्रकाश, प्रकाश के एक अंश को विभिन्न दिशाओं में (फैलाना) छितराने को प्रकाश का प्रकीर्णन कहलाता हैं

What Is Scattering Of Light Class 10 In Hindi.

 

Scattering Of Light Class 10 के कुछ महत्वपूर्ण कारण है जिनके बारे में पूछा जाता है यह आपको class 12th में भी पूछ सकता है जो निम्न घटनाएं है जिनके दिलचस्प कारण भी है-

1. अंतरिक्ष यात्री को आकाश काला दिखाई देना ।
2. बादल का रंग सफेद दिखाई देना  ।
3. सूर्याउदय एवं सूर्यास्त के समय सूर्य का लाल होना ।

 

1. अंतरिक्ष यात्री को आकाश काला दिखता है क्यों?

 
क्योंकि अंतरिक्ष में कोई कण उपस्थित नहीं रहता है अर्थात वहां निर्वात होता है ।
 
इसलिए वहां प्रकाश का प्रकीर्णन नहीं होता है और प्रकाश के प्रकीर्णन नहीं होने के कारण आकाश काला दिखाई देता है ।
 

2. बादल का रंग स्वेत (सफेद) दिखता है क्यों?

 
क्योंकि बादल सूक्ष्म बूंदे से बना होता है ये बूंदे विभिन्न तरंगधैर्य रंगों को‌ प्रकीर्णीत कर देता है,
 
ये विभिन्न तरंगधैर्य वाले प्रकाश, लगभग समान रूप से प्रकीर्णीत करता है । इसलिए यह सभी रंग मिलकर स्वेेत रंंग संवेदना देता है। अत: बादल का रंग सफेद(स्वेेत) होता है ।
 

3. सूर्यादय एवं सूर्यास्त के समय सूर्य का रंग लाल(रक्ताव) होता है क्यों?

 
सूर्यउदय एवं सूर्यास्त के समय सूर्य पृथ्वी से काफी दूर होता है, ऐसी स्थिति में सूर्य के निकलने वाली प्रकाश को लंबी दूरी तय करना पड़ता है ।
 
जिसके कारण बैगनी रंग का प्रकीर्णन वायुमंडल में उपस्थित कणो के द्वारा हो जाता है क्योंकि नीले एवं अन्य रंग का तरंग धैर्य कम होता है ।
 
परंतु लाल रंग का तरंगधैर्य सर्वाधिक होता है जिसके कारण प्रकीर्णन सबसे कम होता है इसलिए प्रकाश का लाल रंग ही हमारे नेत्र ( आंख ) तक पहुंचता है अतः सूर्योदय और सूर्यास्त के समय लाल रंग का दिखाई देता है ।
 
 

खतरा का संकेत लाल होता है क्यों?

 
हम जानते हैं कि जिस रंग का प्रकाश का तरंगधैर्य जितना अधिक होता है उसका प्रकीर्णन कम होता है चुकी लाल रंग का तरंगधैर्य सबसे अधिक होता है ।
 
इसलिए लाल रंग का प्रकीर्णन कम होता है अर्थात लाल रंग लंबी दूरी तय करती है इसलिए खतरा का संकेत लाल होता है ।
 
 
OBJECTIVE QUESTIONS
 
1. सबसे अधिक तरंगधैर्य तथा कम तरंगधैर्य वाले रंग का नाम ?
 
? अधिक लाल और कम बैगनी ।
 
2. सबसे अधिक प्रकीर्णन तथा कम प्रकीर्णन वाले रंग का नाम ?
 
? कम लाल और सभी रंग का प्रकीर्णन अधिक होता है ।
 
❌❌ NOTE :- प्रकाश के प्रकीर्णन और भी बहुत सारी घटनाएं होती है अगर आपको किसी और घटना के बारे में विस्तार रूप से परिभाषित चाहिए तो कमेंट कर सकते हैं । ❌❌
 

ऐसे बहुत से घटना है जो और प्रकीर्णन के कारण होता है जिसका दृश्य काफी ही रोमांचक होता है । क्यों क्योंकि पर करना नहीं प्रकाश का एक हिस्सा है ।

और हमारी आंख प्रकाश से ही दिखती है इसलिए प्रकीर्णन से हुए कुछ ऐसे दृश्य जो हमें चौंका देते हैं जिसके बारे में हम जानते भी नहीं है कि यह कैसे होगा ।

परागण, पर परागण, स्वयं परागण किसे कहते हैं ?

how is the process of pollination different from fertilization.

विद्यार्थियों परागण के बारे में हमने अपनी भाषा में आसान से आसान शब्दों में बताया है ताकि आप आसानी से परागण के परिभाषा तथा परागण प्रकार के परिभाषा को समझ सके ।

परागण किसे कहते है ?

किसी पौधे के पुरुषों के पुंकेसर से परागकणों का उसी पौधे का पुष्प के या दूसरे पौधे के पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुंचना, परागण कहलाता है।

इसके बाद पौधों में निषेचन होता है और नए पुष्प या पौधे का निर्माण करता है ।

Types of pollination.

परागण दो प्रकार के होते हैं
  1. स्वपरागण ( स्वयं परागण)
  2. पर परागण

विद्यार्थियों पर परागण के बहुत प्रकार होते हैं जिनमें से मुख्य मैं आप लोगों को बताने वाला हूं इससे पहले हम स्वपरागण ( स्वयं परागण) तथा पर परागण का परिभाषा जान लेते हैं ।

स्वपरागण ( स्वयं परागण) किसे कहते हैं ?

एक पुष्प के परागकण वह उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर गिरते हैं इस प्रकार के परागण को स्वपरागण ( स्वयं परागण) कहते हैं । यह परागण द्वि लिंगी पौधों या पुष्पों में होते हैं ।

उदाहरण– मटर सूर्यमुखी इत्यादि।

पर परागण किसे कहते हैं ?

एक पुष्प के परागकण दूसरे पुष्प के वर्तिकाग्र पर गिरते हैं इस प्रकार के परागण को पर परागण कहते हैं । यह पर परागण एक लिंगी पौधे या पुष्प में होते हैं ।

उदाहरण– पपीता खजूर इत्यादि ।

पर परागण के प्रकार

  1. जल पर परागण
  2. वायु पर परागण
  3. कीट पर परागण
  4. जंतु पर परागण
  5. पक्षी पर परागण

दोस्तों मैंने पहले ही आपको बताया है कि पर परागण के बहुत प्रकार हैं बहुत ऐसे माध्यम है जिसमें पर परागण हो सकता है लेकिन मैं आपको ऐसे मुख्य पर परागण प्रकार के बारे में बताने वाले हैं ।

यह कुछ मुख्य पर परागण हैं इसके अलावा कई ऐसे तरीके हैं जिनकी मदद से पर परागण होते हैं ।

वायु पर परागण किसे कहते हैं

जब परागकण वायु के द्वारा एक पुष्प से दूसरे पुष्प के वर्तिकाग्र तक पहुंचता है तो इस प्रकार के परागण को वायु परागण कहते हैं । इसे पुष्प वायु परागित पुष्पों भी कहते हैं ।

इस प्रकार के पर परागण बड़े-बड़े या दूर दूर वृक्षों में या पुष्पा में ज्यादातर होते हैं क्योंकि ज्यादा बड़ा या ज्यादा दूर मे परागकण को पहुंचने के लिए किसी माध्यम की जरूरत होती है इसी में वायु माध्यम का उपयोग किया जाता है ।

आप चाहे तो इसके उदाहरण आप अपने अनुसार अपने आसपास से दे सकते हैं आप को अगर लगता है कि यह वृक्ष या पुष्प में वायु द्वारा पर परागण होता होगा तो आप उसका नाम लिख सकते हैं ।

पर परागण के सभी प्रकार परागण में अलग-अलग माध्यम से परागकण दूसरे पुष्प के वर्तिकाग्र तक पहुंचता है तो जिस माध्यम के द्वारा परागकण वर्तिकाग्र पर पहुंचता है तो वह माध्यम उस पर परागण का माध्यम हो जाता है ।

जल परागण किसे कहते हैं ?

जब परागकण जल के द्वारा एक पुष्प से दूसरे पुष्प के वर्तिकाग्र तक पहुंचता है तो इस प्रकार के परागण को जल परागण कहते हैं

परिभाषा से ही आपको लगता होगा कि यहां पर परागण जलीय पौधों या पुष्प में होता है अगर पौधा या पुष्प जल के ऊपर तैरता है तो जल के तल से परागकण दूसरे पुष्पी या पौधों के उसके वर्तिकाग्र तक पहुंचता है ।

कीट परागण किसे कहते हैं ?

जब परागकण कीट के द्वारा एक पुष्प से दूसरे पुष्प के वर्तिकाग्र तक पहुंचता है तो इस प्रकार के परागण को कीट परागण कहते हैं

जब कीट पतंग पौधे के पुष्प पर आकर बैठते हैं और उसे खाते हैं तो फिर दूसरे पुष्प पर खाने के लिए जब जाते हैं तो उनके मुंह से तथा पैरों से परागकण एक पुष्प से दूसरे पुष्प तक पहुंचता है ।

जंतु परागण किसे कहते हैं ?

जब परागकण जंतु के द्वारा एक पुष्प से दूसरे पुष्प के वर्तिकाग्र तक पहुंचता है तो इस प्रकार के परागण को जंतु परागण कहते हैं ।

इसी प्रकार जंतुओं को भी कोई वृक्ष के फल फूल खाने के बाद दूसरे फल फूल को खाने लगते हैं इसी दौरान वृक्ष या पुष्प का पर परागण होता है तथा मनुष्य भी परागण कृत्रिम रूप से भी कराता है ।

पक्षी परागण किसे कहते हैं ?

जब परागकण पक्षी के द्वारा एक पुष्प से दूसरे पुष्प के वर्तिकाग्र तक पहुंचता है तो इस प्रकार के परागण को पक्षी परागण कहते हैं ।

विद्यार्थियों की परिभाषा से में पता चलता है कि पेड़ पौधे ऊंचे होंगे तभी तो परागण के लिए पक्षी की आवश्यकता पड़ रही है लेकिन कई ऐसे पेड़ पौधे हैं जो नीचे हैं फिर भी परागण पक्षी के द्वारा हो जाता है ।

अब यह पक्षी पर निर्भर है कि वह किस पौधे या पुष्प को पसंद करते हैं आप इसका पता अपने आसपास पेड़ पौधे से भी लगा सकते हैं क्योंकि उन पर पक्षियों हमेशा आकर बैठते और खाती हुई दिखती है ।

NRB का Full Form और NRB विषय बिहार बोर्ड में क्या होता है ?

What is the full form of NRB and NRB subject in BSEB?

NRB Full Form, NRB Subject Kya Hota Hai.

NRB Subject Bihar Board (BSEB) के एक compulsory subject है जिनको हम लोग हिंदी Subject को कहते हैं ।

कक्षा 12वीं में दो विषय कंपलसरी होता है जिनमें से एक हिंदी और एक इंग्लिश होता है ।

NRB Full Form – Non Rashtriy Bhasha ( Non-Hindi & Urdu.etc )

कुछ लोग NRB Subject को अपने आसपास के 12वीं के students के Admit card पर देखकर परेशान हो जाते हैं कि यह कौन सा Subject है और इस Subject की तैयारी हमको कैसे करना होगा।

तो दोस्तों आप बिल्कुल भी परेशान मत होइए यह 12वीं क्लास के हिंदी के सभी किताबों को यानी कि 12वीं क्लास के हिंदी Subject को ही NRB Subject कहा जाता है ।

अब मैं आप लोग को यह बताऊंगा कि NRB Subject Full Form Meaning Bihar Board (BSEB) में क्या होता है, यानी Bihar Board में NRB Full Form क्या होता है ।

दोस्तों मैं आपको बता दूं NRB आपको Bihar Board (BSEB) के अलावा कहीं और भी मिल सकता है, लेकिन मैं जो Full Form बताऊंगा वह सिर्फ Bihar Board (BSEB) के लिए होगा ।

उम्मीद करता हूं कि मेरी बात आप लोग को समझ आ रही हो अगर फिर भी आपको कोई भी परेशानी होता है, तो आप आराम से कमेंट कर सकते हैं हम आपकी समस्या का समाधान बहुत जल्दी रिप्लाई कर देंगे ।

NRB Subject Full Form In Bihar Board Hindi Mein.

NRB Subject Full Form In Bihar Board (BSEB) : Non Rashtriy Bhasha ( Non-Hindi & Urdu.etc )

दोस्तों इस का Full Form थोड़ा अलग type का दिख रहा होगा क्योंकि दोस्तों इस में 1 word अंग्रेजी और 2 word हिंदी है लेकिन दोस्तों यकीन मानिए यही इसका Full Form है ।

Non Rashtriy Bhasha ( NRB Subject ) में आपको सिर्फ Hindi ही हो जरूरी नहीं है इसमें आपको आपके भाषा ही होंगे ।

अगर आपने Hindi Subject के जगह पर को उर्दू में पढ़ते हैं और आपने कोई परीक्षा में उर्दू Subject से ही परीक्षा दी हो तो आप का रिजल्ट NRB Subject में ही आएगा ।

जैसा कि आप लोग जानते ही होंगे की Hindi के Subject में थोड़ा-बहुत क्वेश्चन आपको व्याकरण से देखने को मिल जाता है और इन सब का भी रिजल्ट आपके NRB Subject मे ही आएगा।

संस्कृत में आवेदन पत्र । Sanskrit Mein Application

संस्कृत में प्रार्थना पत्र कैसे लिखें

Sanskrit Mein Application

विद्यार्थियों आज इस लेख में मैं आप लोगों को संस्कृत में आवेदन पत्र बताने वाला हूं वह भी आसान से आसान भाषा में और आसान से आसान शब्दों में, इस प्रकार का संस्कृत में आवेदन पत्र बनाया गया है जिन्हें आप आसानी से भी याद कर सकते हैं।

और मैं आपको उसमें बदलाव करना भी बातलाने वाला हूं ताकि आप अपने अनुसार संस्कृत में आवेदन पत्र में बदलाव कर सकें जैसे कि 3 दिन की छुट्टी के लिए, 5 दिन की छुट्टी के लिए, बहन की शादी के लिए, शुल्क मुक्ति इत्यादि पर आप बदलाव कर सकेंगे।

सबसे पहले आप यह संस्कृत में आवेदन पत्र को देख ले जिसमें 3 दिन की छुट्टी के लिए संस्कृत में आवेदन पत्र लिखा गया है अगर आप 3 दिनों की छुट्टी के लिए संस्कृत में आवेदन पत्र लिखना चाहते हैं, तो आप इसे लिख सकते हैं।

 

संस्कृत में आवेदन पत्र

How to write application form for leave with the Principal in Sanskrit / Hindi.

नीचे में दिए गए संस्कृत में आवेदन पत्र यह भाई की शादी में 2 दिनों के लिए जो पटना बराती जाने वाली है उन पर लिखा गया है नीचे आपको बदलाव करने का तरीका और बदलाव करके कुछ संस्कृत में आवेदन पत्र बताया गया है आप वहां से समझ सकते हैं या आप चाहे तो वही आवेदन पत्र लिख सकते हैं।

 

सेवायाम्

परीक्षा भवनम्

तिथिः –

प्राधानाचार्यः महोदयः

(+2 रोसरा उच्च विद्यालय , रोसरा )

महाशयः

सविनयं निवेदनम् अस्ति यत् मम् भ्रातुः विवाहः श्वः भविष्यति। वरयात्रा पटनानंगरम् गमिष्यति । अतः मह्यं दिनद्वयस्य अवकांश प्रदाय भवन्तः अनुगृहणन्तु ।

सधन्यवादनम् ।

भवदीयः छात्रः / छात्राः

नामः -अमन कुमार

 

चलिए इसमें कुछ स्थिति के अनुसार संस्कृत में आवेदन पत्र में बदलाव करते हैं ताकि आप अपने अनुसार संस्कृत में आवेदन पत्र में बदलाव कर सकें।

 

5 दिन की छुट्टी के लिए आवेदन पत्र संस्कृत में

प्रिय छात्रों, जब हमे 5 दिन की छुट्टी के लिए आवेदन पत्र संस्कृत में लिखना है तो मैं कुछ स्थानों पर बदलाव करना होगा जैसा कि विद्यालय का नाम, छुट्टी लेने का कारण और कितने दिनों के लिए छुट्टी ले रहे हैं इन स्थानों पर हमें बदलाव करना है।

तो आइए हम आपको 5 दिन की छुट्टी के लिए आवेदन पत्र संस्कृत में बताते हैं सबसे पहला और आसान है विद्यालय का नाम “+2 रोसरा उच्च विद्यालय , रोसरा” आपको इनमें बदलाव करना है वहां पर आप अपने विद्यालय का नाम दे।

उसके बाद हमें छुट्टी लेने का कारण में बदलाव करना होगा जैसे कि भ्रातुः विवाहः इसका मतलब होता है कि “भाई का विवाह” आप चाहे तो “बहन का विवाह” भगिनी विवाह संस्कृत में लिख सकते हैं।

तो आप कहीं जा रहे हैं तो वहां का जगह का नाम जरूर इसमें जुड़ा होगा तो आपको वहां पर भी बदलाव करना है जैसे कि आवेदन पत्र में “पटनानंगरम्” लिखा है तो आप वहां पर आप जहां जा रहे हैं उस जगह का नाम लिख दें आप सीधे हिंदी में भी लिख सकते हैं।

और उसके बाद आप कितने दिनों के लिए छुट्टी लेना चाहते हैं तो वह आप “दिनद्वयस्य” मतलब 2 दिन, उसके स्थान पर आप “3 दिन” त्रयः दिवसाः या “5 दिन” पञ्च दिवसाः लिख दें।

 

सेवायाम्

परीक्षा भवनम्

तिथिः –

प्राधानाचार्यः महोदयः

(+2 रोसरा उच्च विद्यालय , रोसरा )

महाशयः

सविनयं निवेदनम् अस्ति यत् मम् भ्रातुः विवाहः श्वः भविष्यति। वरयात्रा पटनानंगरम् गमिष्यति । अतः मह्यं पञ्च दिवसाः अवकांश प्रदाय भवन्तः अनुगृहणन्तु ।

सधन्यवादनम् ।

भवदीयः छात्रः / छात्राः

नामः -अमन कुमार

 

इस प्रकार कुछ बदलाव करने के बाद आपका 5 दिन की छुट्टी के लिए आवेदन पत्र संस्कृत में कुछ इस प्रकार हो जाएगा, इसमें भाई की शादी में 5 दिनों के लिए जो पटना से बराती जाने वाली है उन पर लिखा गया है बहन के लिए नीचे बताया गया है।

 

3 दिन की छुट्टी के लिए आवेदन पत्र संस्कृत में

3 दिन की छुट्टी के लिए आवेदन पत्र संस्कृत में कुछ खास बदलाव नहीं करने है जैसा कि आप लेखक को सही से पढ़े होंगे तो आपको पता चला होगा कितना आसान है बदलाव करना।

3 दिन की छुट्टी के लिए आवेदन पत्र संस्कृत में, इसके लिए सबसे पहले आपको विद्यालय का नाम, छुट्टी लेने का कारण, जगह स्थान इनमें बदलाव कर लेना है जो कि मैं ऊपर अच्छे से समझाएं है।

अब आपको जितने दिनों के लिए छुट्टी लेना चाहते हैं तो आप “दिनद्वयस्य” मतलब 2 दिन, उसके स्थान पर आप “3 दिन” त्रयः दिवसाः लिख दें। उसके नीचे आप अपना नाम और तिथि, कक्षा और कुछ जानकारी देने के बाद आपका संस्कृत में आवेदन पत्र पूरा हो जाएगा।

 

बहन की शादी के लिए संस्कृत में प्रार्थना पत्र

बहन की शादी के लिए संस्कृत में प्रार्थना पत्र में भी थोड़ी बहुत बदलाव करना है अगर आप लेट को सही से पढ़ लेते हैं तो आप बहन की शादी के लिए संस्कृत में प्रार्थना पत्र आसानी से लिख सकते हैं लेकिन मैं फिर भी आपको एक बार बदलाव करके दिखा और समझा देता हूं।

जैसा कि आपको पता है कि सबसे पहले जो संस्कृत में आवेदन पत्र उसमें बदलाव कर रहे हैं तो उसमें आपको सबसे पहले अपना विद्यालय का नाम में बदलाव कर लेना है।

उसके बाद आप भ्रातुः विवाहः इसका मतलब होता है कि “भाई का विवाह” वहां पर आप “बहन का विवाह” भगिनी विवाह संस्कृत में लिख सकते हैं जैसा कि आपको पता है कि लड़की की शादी में बराती आते हैं इसलिए “वरयात्रा पटनानंगरम् गमिष्यति” के स्थान पर “10/10/2023 दिनाङ्के रात्रौ बाराती आगन्तुं गच्छति” 10/10/2023 पर आप अपनी दिनांक लिख सकते हैं।

और उसके बाद आपको बहन की शादी के लिए कितने दिनों के लिए छुट्टी लेना है इसके लिए “दिनद्वयस्य” मतलब 2 दिन, उसके स्थान पर आप “3 दिन” त्रयः दिवसाः या “5 दिन” पञ्च दिवसाः लिख सकते हैं।

उसके बाद अपनी थोड़ी बहुत जानकारी नीचे लिखकर जैसे कि अपना कक्षा और दिनांक अपना नाम और पापा या मम्मी का नाम लिख दे और आपका संस्कृत में आवेदन पत्र तैयार हो जाएगा।

 

सेवायाम्

परीक्षा भवनम्

तिथिः –

प्राधानाचार्यः महोदयः

(+2 रोसरा उच्च विद्यालय , रोसरा )

महाशयः

सविनयं निवेदनम् अस्ति यत् मम् भ्रातुः विवाहः श्वः भविष्यति। 10/10/2023 दिनाङ्के रात्रौ बाराती आगन्तुं गच्छति । अतः मह्यं पञ्च दिवसाः अवकांश प्रदाय भवन्तः अनुगृहणन्तु ।

सधन्यवादनम् ।

भवदीयः छात्रः / छात्राः

नामः -अमन कुमार

 

इसमें बहन की शादी में 5 दिनों के लिए जो 10/10/2023 को बराती आने वाली है उन पर लिखा गया है।

अगर आप अध्यापक को आवेदन पत्र देना है तो प्राधानाचार्यः महोदयः लिखे रहने दे या आप किसी शिक्षक को देना चाहते हैं महोदयः सिर्फ रहने दे।

आप चाहे तो इसके अलावा भी किसी अन्य स्थिति पर संस्कृत में आवेदन पत्र लिखवा सकते हैं उसके लिए बस आपको करना क्या है हमें व्हाट्सएप पर मैसेज करना है और बता देना है कि आप किस स्थिति पर संस्कृत में आवेदन पत्र लिखना चाहते हैं तो मैं आपको सिर्फ 5 से 10 मिनट के अंदर में संस्कृत में आवेदन पत्र लिखकर दे दूंगा।

 

संस्कृत में प्रार्थना पत्र शुल्क मुक्ति पर

संस्कृत में प्रार्थना पत्र शुल्क मुक्ति के लिए प्रधानाचार्य के पास संस्कृत में आवेदन पत्र जिसमें कक्षा 11वीं के छात्र अपने किसान पिता के तबीयत खराब होने के कारण फेस देने में समस्या के ऊपर लिखा गया।

अगर आप शुल्क मुक्ति के लिए कोई और कारण देना चाहते हैं और उनके लिए आवेदन पत्र लिखना चाहते तो आप हमें व्हाट्सएप पर संपर्क कीजिए और अपना कारण या अपना आवेदन पत्र मुझे बताइए हम उनको संस्कृत में बदल कर दे देंगे।

 

सेवायाम्

परीक्षा भवनम्

प्राधानाचार्यः महोदयः

(+2 रोसरा उच्च विद्यालय , रोसरा )

विषय : शुल्क माफी हेतु प्रधानाध्यापक को आवेदन पत्र

महोदयः,

विनम्र निवेदन। यत् अहं आनन्द पब्लिक स्कूलस्य ११ कक्षायाः छात्रः अस्मि। मम पिता कृषकः अस्ति। केनचित् प्रकारेण मम अध्ययनस्य, गृहस्य परिचर्यायाः च उत्तरदायित्वं सः स्वीकृतवान् आसीत् । परन्तु कतिपयदिनानि पूर्वं सः केनचित् रोगैः पीडितः आसीत् । यस्मात् इदानीं सः किमपि कार्यं कर्तुं न शक्नोति। सः च मम विद्यालयशुल्कं दातुं न शक्नोति।

अहं भवन्तं सूचयितुम् इच्छामि यत् अहं विद्यालयसम्बद्धेषु कार्येषु अतीव उत्तमं प्रदर्शनं कृतवान् अस्मि। अहं च कक्षायां प्रथमं तिष्ठामि। मम शुल्कं सम्पूर्णतया माफं कर्तुं विनयेन प्रार्थयामि। यस्मात् कारणात् अहम् अग्रे अध्ययनं कर्तुं शक्नोमि। अहं भवतः बहु कृतज्ञः भविष्यामि।

आज्ञाकारी शिष्यः
अमन कुमार
कक्षा –

घन, घनाभ, बेलन, शंकु, वृत्त, गोले, का सभी सूत्र ।

All formulas of cube, cuboid, cylinder, cone, circle, sphere.

घन, घनाभ, बेलन, शंकु, वृत्त, गोले का सभी सूत्र

दोस्तों आज इस लेख में गणित के सभी सूत्र आप लोग को मिल जाएंगे बस आपको करना कुछ नहीं है आप सूत्र को पाना है उसको table of contents से चुने ।

अगर इसे लेख में लिखा गया सूत्रों को समझ नहीं आ रहा है तो आप स्क्रीनशॉट का उपयोग कर सकते हैं जिनमें कुछ ऐसे सूत्र का स्क्रीनशॉट दिया है जो आपको समझने में समस्या होगी ।

अगर कोई भी ऐसा सूत्र है जो आप इसमें खोज नहीं पाए हैं तो आप सबसे नीचे चले जाएं वहां पर क्वेश्चन पूछने का ऑप्शन दिया हुआ है वहां पर आप अपना प्रश्न डालकर पूछ सकते हैं हम बहुत जल्दी आपके प्रश्न का उत्तर दे देंगे ।

घन (Cube) के सभी सूत्र । All formulas of Cube.

  • घन का आयतन का सूत्र = भुजा 3
  • घन की भुजाका सूत्र= 3√आयतन
  • घन का विकर्णका सूत्र= √3भुजा
  • घन के एक पृष्ठ का क्षेत्रफल = भुजा 2

अगर आपको लगता है कि घन (Cube) के सूत्र में कोई ऐसा सूत्र है जो छूट रहा है या उनके बारे में आपको नहीं पता है तो आप हमको बता सकते हैं हम उनका सूत्र बता देंगे ।

जिसके लिए इस पोस्ट के सबसे नीचे एंड में जाकर प्रश्न पूछे ऑप्शन में प्रश्न को डालकर प्रश्न भेजें के ऑप्शन पर क्लिक करके हमें भेज सकते हैं हम आपके प्रश्न का जवाब तुरंत देंगे ।

घनाभ (Cuboid) के सभी सूत्र । All Formulas Of Cuboid.

घनाभ का सिर्फ आमने-सामने भुजा बराबर होता है जिसके लिए हम दो असमान चिन्ह का प्रयोग करते हैं तथा घन का सभी भुजा बराबर होता है जिसके लिए हम एक ही चिन्ह (a कोई चिन्ह) का इस्तेमाल करते हैं ।

यह आपको किसी भी सूत्र में मिल सकता है इसलिए कोई परेशानी ना हो हम आपको पहले ही सूचित कर देते हैं अगर आपको फिर भी समझ में नहीं आया है तो आप हमें कमेंट में पूछ सकते हैं ।

  • घनाभ का संपूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल का सूत्र = 2 (लं. × चौ. + चौ. × ऊँ. + ऊँ. × लं. )
  • घनाभ का आयतन का सूत्र= लम्बाई × चौड़ाई ×ऊंचाई
  • घनाभ का विकर्ण का सूत्र= √लं.2+ चौ.2 + ऊँ.2

सभी सूत्रों में प्रयोग किए जाने वाले चिन्ह की जानकारी नीचे दी गई है लेकिन फिर भी अगर आपको कोई भी चिन्ह समझने में समस्या है तो आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं ।

l = Length = लम्बाई ,
b = width = चौड़ाई,
h = height = ऊँचाई के लिए सूचित किया गया है ।
तथा ” √ ” (रूट ) का चिन्ह का प्रयोग , रूट के आगे सभी सूत्र में किया गया है ‌‌‌‌न कि कोई एक element में । वह पूरा सूत्र रूट के अंदर होगा अर्थात आगे सभी सूत्र रूट में है ।

 

बेलन (Cylinder) के सभी सूत्र । All Formulas Of Cylinder.

 

बेलन का जितना भी सूत्र है लगभग मैंने सारे सूत्र दे दिए हैं अगर आपको कोई और सूत्र चाहिए जो इसमें नहीं है तो आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं ।

सूत्र देने के बाद सूत्र के बारे में समझाया भी गया है इसलिए दोस्तों कृपया उन्हें भी पढ़े ताकि आप सूत्र को अच्छी तरह से अधिक समझ पाए ।

वृत्ताकार वलय का क्षेत्रफल का सूत्र = π(r+R)(R-r)

बेलन का आयतन का सूत्र = आधार का क्षेत्रफल × ऊँचाई = πr²h

बेलन का वक्रप्रष्ठ का सूत्र= आधार की परिमाप × ऊँचाई = 2πrh

बेलन का सम्पूर्ण पृष्ठ का सूत्र = वक्रप्रष्ठ का क्षेत्रफल + 2 × आधार का क्षेत्रफल = 2πrh + 2πr² = 2πr(r + h)

खोखले बेलन का आयतन का सूत्र= πh(r₁² – r₂²)

खोखले बेलन का वक्रपृष्ठ का सूत्र = 2πh(r₁² + r₂²)

खोखले बेलन का सम्पूर्ण पृष्ठ का सूत्र = 2πh(r₁ + r₂) + 2π(r₁² – 2r₂²)

बेलन के निचले पृष्ठ की त्रिज्या अर्थात बेलन के पेंदी का भाग वृत्त होता है जिसकी त्रिज्या = radius = r तथा ऊँचाई या लम्बाई = height =h से सूचित किया जाता है ।

वृत्ताकार वलय खोखले गोले का आधा भाग के क्षेत्रफल के बारे में बताया गया जहां बीच के छोटे गोले के त्रिज्या को r छोटी से बताया गया है बड़े गोले का त्रिज्या को R बताया गया है ।

आप चाहे तो इसके स्थान पर छोटे गोले के वृत्त की त्रिज्या को r1 तथा बड़े गोले के वृत्त की त्रिज्या को r2 से सूचित कर सकते हैं ।

शंकु(Cone) के सभी सूत्र । All formulas of Cone.

शंकु में दो ऊंचाई या लंबाई होते हैं जिसमें से एक तिर्यक ऊंचाई होता है तथा एक लंब लंबाई होता है जो शंकु के बीचों बीच होता है । लंब ऊंचाई को H तथा तिर्यक ऊंचाई को L से सूचित करते हैं ।

शंकु की लंबाई और शंकु की ऊंचाई दोनों समान होती है इसलिए आप चाहे तो लंबाई के स्थान पर ऊंचाई का मान लिख सकते हैं या आप चाहे तो ऊंचाई के स्थान पर लंबाई का मान लिख सकते हैं ।

शंकु का आयतन का सूत्र =1/3πr2hघन मात्रक

शंकु की तिर्यक ऊँचाई का सूत्र =√h2+r2

शंकु का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल का सूत्र=πrl वर्ग मात्रक

शंकु का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल का सूत्र =(πrl+πr2)वर्ग मात्रक या πrl(r+l)

शंकु का त्रिज्या का सूत्र = व्यास/2 (किसी भी वृत्त का त्रिज्या के लिए भी होगा)

  • आयतन Volume ( V )
  • वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल Curve Surface Area (CSA)
  • कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल Total Surface Area (TSA)